- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
पटना के ग्राम रक्षा दल के कर्मचारी एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आये हैं। आज सुबह-सुबह, जदयू कार्यालय के बाहर इन्होने जोर-शोर से प्रदर्शन किया। ठंडी हवाओं के बीच, लगभग 100-150 कर्मचारी - जिसमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल थे। अपने हक़ के लिए आवाज उठाने पहुँच गए। "स्थायी नौकरी और मांगने का मन-दे चाहिए" के नारे लगते हुए, उन्होंने नीतीश सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी दिखाई।
सिर्फ वर्दी देकर काम नहीं चलेगा
ग्राम रक्षा दल के कर्मियों का कहना है की उनका काम काफी जोखिम भरा है। गाओं के छोटे-बड़े जुर्म की जानकारी इकठ्ठा कर ये लोग पुलिस तक पहुंचाते हैं। लेकिन ना तो उन्हें इस काम के लिए सही मांदे मिलते हैं और ना ही इनकी नौकरी को स्थायी रूप दिया गया है। "सिर्फ दिखावा है, वर्दी तो मिल गयी लेकिन इज़्ज़त और सुविधा कहाँ है ? एक कर्मचारी का कहना था।
नितीश सरकार की योजना से शुरू हुआ सफर
2012 में सीएम नीतीश कुमार ने ग्राम रक्षा दल और पुलिस मित्र का गठन किया था। बिहार भर में आज लगभग 8,000 ग्राम रक्षा दल के सदस्य हैं। इनका काम है गाओं में हो रहे अपराधों की जानकारी पुलिस को देना। लेकिन अक्सर, थाना प्रभारी इनकी जानकारी को "प्रबंधित" कर लेते हैं और लोगों के बीच विवाद खड़ा हो जाता है। फिर भी इनका रोजगार ना पक्का है और ना ही कोई निश्चित वेतन मिलती है।
विधानसभा सत्र में होगा ज़ोर का धमाका ?
अब ग्राम रक्षा दल के कर्मचारी अगले विधानसभा सत्र में जोर-शोर से अपनी मांग रखने की तयारी कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले, इन्होने सीएम के घर के बाहर भी प्रदर्शन किया था,जहाँ पुलिस ने उन्हें बल से हटा दिया। लेकिन, कर्मचारी अपनी मांगो से पीछे हटने को तैयार नहीं।
क्या कह रहे हैं प्रदर्शन करने वाले ?
एक कर्मचारी ने कहा, "हमें सिर्फ आशा दिलाई गयी थी। जब जीतन राम मांझी की सरकार थी तब बोला गया था की मांदे तय होगा लेकिन अब तक कुछ नहु हुआ।"
जदयू कार्यालय के बाहर आज पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझने की सोशिश की और वहां से हटा दिया। लेकिन ग्राम रक्षा दल के कर्मचारी कहते हैं की यह तो बस शुरुआत है। "अगले हफ्ते हम और ज़्यादा जोर से अपने हक़ की मांग उठाएंगे," एक प्रदर्शक ने धमकी दी।
क्या नीतीश सरकार करेगी इनकी सुनवाई ?
ग्राम रक्षा दल के ये कर्मचारी सरकार से एक ही सवाल कर रहें हैं: "आखिर कब तक हमें सिर्फ वर्दी देकर, असली हक़ से वंचित रखा जाएगा ?" अब देखना यह है की नीतीश सरकार इनकी बात सुनती है या नहीं।