- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
बिहार की सियासी पिच पर उपचुनाव के नतीजों ने एनडीए को बड़ी बढ़त दिलाई है। चार विधानसभा सीटों पर हुए इस मुकाबले में एनडीए ने चारों दिशाओं में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। इमामगंज और तरारी में बीजेपी का परचम लहर चुका है, जबकि बेलागंज में जेडीयू की मनोरमा देवी ने राजद के 34 साल पुराने किले को ध्वस्त कर दिया है। रामगढ़ में भी भगवा रंग चढ़ने की पूरी तैयारी है।
इमामगंज में बहू की बॉल पर सास-ससुर का चौका
इमामगंज से हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी ने मैदान मार लिया है। दीपा ने राजद के रौशन मांझी को 7300 वोटों से धूल चटा दी। 13 राउंड की गिनती के बाद दीपा ने निर्णायक बढ़त लेते हुए यह सीट अपने नाम कर ली। अब मांझी परिवार में जश्न का माहौल है और इमामगंज की जनता ने दिखा दिया है कि उनका भरोसा कहां है।
बेलागंज में मनोरमा का 'धमाका,' राजद का गढ़ हुआ धराशायी
बेलागंज में जेडीयू की मनोरमा देवी ने वो कर दिखाया जो किसी ने सोचा भी नहीं था। राजद का 34 साल पुराना गढ़ मिनटों में टूट गया। मनोरमा देवी ने 20 हजार वोटों से बढ़त लेते हुए बेलागंज की सीट पर जेडीयू का झंडा गाड़ दिया। राजद को यह हार न केवल झटका है, बल्कि उनके राजनीतिक किले पर एक गहरी चोट भी।
तरारी में भाजपा की 'विशाल' जीत
तरारी में बीजेपी ने अपनी ताकत दिखा दी। सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत ने 10 हजार वोटों से जीत दर्ज कर कमल खिला दिया। सीपीआई (एमएल) के राजू यादव को धूल चटाते हुए विशाल ने यह साबित कर दिया कि तरारी में बीजेपी की पकड़ मजबूत है। शुरुआती राउंड से ही विशाल प्रशांत ने लीड बनाई और 12 राउंड की गिनती के बाद मुकाबला अपने नाम कर लिया।
रामगढ़ में राजद के सपनों पर पानी, बीजेपी की बढ़त बरकरार
रामगढ़ में राजद के लिए हालात और भी खराब हैं। यहां राजद उम्मीदवार अजित कुमार सिंह तीसरे नंबर पर पहुंच गए, जबकि बीजेपी और बसपा के बीच कांटे की टक्कर रही। हालांकि, बीजेपी के अशोक कुमार सिंह ने 1777 वोटों की बढ़त के साथ जीत की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। तेजस्वी यादव के लिए यह बड़ा झटका है, क्योंकि रामगढ़ में राजद की हालत दयनीय हो गई है।
क्या एनडीए ने विपक्ष की राजनीति पर किया 'सुपर ओवर'?
13 नवंबर को हुए उपचुनाव के बाद आज मतगणना से ये साफ हो गया है कि बिहार में एनडीए का जलवा बरकरार है। चार सीटों पर जीत की ओर बढ़ते हुए एनडीए ने दिखा दिया कि उनकी पकड़ न केवल मजबूत है, बल्कि विपक्ष को कमजोर करने का हर दांव उन्हें बखूबी आता है।
अब सवाल यह है कि क्या यह जीत 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारी का संकेत है? क्या विपक्ष इस हार के बाद अपनी रणनीति बदलेगा, या एनडीए का यह 'सुपर शो' आने वाले चुनावों में भी जारी रहेगा? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल बिहार में एनडीए का जलवा सिर चढ़कर बोल रहा है।