- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने शुरू हो गए हैं, और शुरुआती रुझान में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने बाजी मारते हुए बढ़त बना ली है। दूसरी तरफ, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) काफी पीछे नजर आ रही है। लेकिन इस पूरे चुनाव में सबसे बड़ा 'सुपरहिट स्टार' कौन रहा? जवाब है – 'लाडकी बहीण योजना'
चुनाव के दौरान इस योजना ने हर घर और हर मंच पर चर्चा बटोरी। सत्तारूढ़ महायुति ने इसे 'गेमचेंजर' करार दिया और प्रचार में जोर-शोर से भुनाया। तो क्या सच में इस योजना ने वोटरों का दिल जीत लिया? आइए जानते हैं कि इस चुनावी गेम के पीछे कौन-से पत्ते खेले गए।
लाडकी बहीण योजना: क्या है खास?
महाराष्ट्र सरकार ने जून 2024 में 'मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना' की शुरुआत की। इस योजना के तहत 21 से 65 साल की पात्र महिलाओं को हर महीने ₹1,500 की आर्थिक मदद सीधे उनके बैंक खाते में दी जाती है।
सरकार का दावा है कि यह योजना महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता, उनके स्वास्थ्य, पोषण और परिवार में उनकी भूमिका को मजबूत करने के लिए शुरू की गई थी। इस योजना को 46,000 करोड़ रुपये के भारी-भरकम बजट से जोड़ा गया, जिससे इसे चुनावी मुद्दा बनाना और भी आसान हो गया।
किन्हें मिला योजना का फायदा?
- 21 से 65 साल की महिलाएं जो महाराष्ट्र की स्थायी निवासी हों।
- विवाहित, विधवा, तलाकशुदा, या अविवाहित महिलाएं जिनके परिवार की वार्षिक आय ₹2.5 लाख से कम हो।
- लाभार्थी महिलाओं का बैंक खाता आधार से लिंक होना चाहिए।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के लिए कुल 1.12 करोड़ आवेदन आए, जिनमें से 1.06 करोड़ स्वीकृत हो चुके हैं। सरकार का लक्ष्य 2.34 करोड़ महिलाओं तक यह लाभ पहुंचाने का है।
चुनावी मैदान में लाडकी बहीण बनी 'ट्रंप कार्ड'
महायुति ने प्रचार के दौरान इस योजना को हथियार की तरह इस्तेमाल किया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से लेकर भाजपा और शिवसेना के हर बड़े नेता ने इसे अपनी जीत का आधार बताया।
महायुति का वादा: महिलाओं को हर महीने ₹2,100 की आर्थिक सहायता।
महाविकास अघाड़ी का पलटवार: महिलाओं को हर महीने ₹3,000 का वादा।
यानी चुनावी लड़ाई सीधे महिलाओं के भरोसे पर आकर टिक गई। महायुति ने इसे 'महिला सशक्तिकरण' का नाम दिया, तो एमवीए ने इसे 'आर्थिक आजादी' का नारा बनाकर भुनाने की कोशिश की।
क्या असर पड़ा 'लाडकी बहीण' का?
चुनाव के दौरान राज्य के 36 जिलों में 288 विधानसभा सीटों** के लिए वोट डाले गए। 66.05% का रिकॉर्ड मतदान हुआ, जो 2019 के मुकाबले 4.61% ज्यादा है। इसमें खास बात यह थी कि महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में भारी इजाफा हुआ।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का दावा है, *"इस बार ज्यादा महिलाएं वोट देने निकलीं और लाडकी बहीण योजना की वजह से उन्होंने हमें वोट दिया।"
क्या है सच्चाई?
महायुति को शुरुआती बढ़त जरूर मिल रही है, लेकिन विपक्ष यानी एमवीए ने भी हार मानने से इंकार कर दिया है। एमवीए ने दावा किया कि जनता को उनके वादों पर भरोसा है और अभी नतीजों का पूरा इंतजार करना चाहिए।
क्या कहता है महाराष्ट्र का मूड?
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि 'लाडकी बहीण योजना' ने वोटरों को आकर्षित जरूर किया, लेकिन यह पूरी तरह 'गेमचेंजर' साबित हुई या नहीं, यह अंतिम नतीजों के बाद ही साफ होगा।
कुल मिलाकर, यह चुनाव महिलाओं पर केंद्रित रहा। 'लाडकी बहीण योजना' ने राजनीति में नया मोड़ जरूर दिया, लेकिन असली सवाल है कि क्या यह योजना महायुति को सत्ता में बनाए रखने में कामयाब होगी, या एमवीए अपने ₹3,000 वाले वादे से जनता का दिल जीतने में सफल होगा?
अब नतीजों पर टिकी निगाहें
कौन सजेगा ताज, यह कुछ घंटों में साफ हो जाएगा। लेकिन एक बात तो तय है – महिलाओं का वोट ही इस बार सबसे बड़ा 'गेमचेंजर' साबित हुआ है। अब देखना यह है कि महिलाओं का भरोसा महायुति को सत्ता में रखता है या एमवीए को नई शुरुआत देता है!