- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
बिहार के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग प्रोसेस में बड़ा बदलाव हुआ है। अब आपको सेवाकालीन प्रशिक्षण (सेवाकालीन प्रशिक्षण) अपने ही जिले में मिलेगा। साथ ही, "बायोमेट्रिक अटेंडेंस" का नया रूल लागू हो गया है, जिससे पारदर्शिता और अनुशासन को बढ़ावा मिलेगा।
सुविधा के लिए जिला-आधारित प्रशिक्षण
पहले, ट्रेनिंग के लिए दूसरे जिलों में जाना पड़ता था, जिससे समय और ट्रैवल में काफी परेशानी होती थी। अब, यह ट्रेनिंग आपके पोस्टिंग वाले जिले के शिक्षा मुख्यालय में ही आयोजित होगी।
सुचारू तैयारी हेतु अग्रिम सूचना
शिक्षकों को ट्रेनिंग की जानकारी "1 हफ्ते पहले" दी जाएगी, ताकि वे अपने सभी ज़रूरी काम निपटा कर आराम से ट्रेनिंग में हिस्सा ले सकें।
बायोमेट्रिक उपस्थिति: सुबह, दोपहर और शाम अनिवार्य
नए नियमों के मुताबिक, हर शिक्षक को रोज़ाना "3 बार बायोमेट्रिक अटेंडेंस" देनी होगी—"सुबह, दोपहर, और शाम"
- अटेंडेंस के बिना ट्रेनिंग को अधूरा माना जाएगा।
- ट्रेनिंग के बाद सर्टिफिकेट सिर्फ उन्हीं शिक्षकों को मिलेगा जिनकी पूरी उपस्थिति दर्ज होगी।
- अगर अटेंडेंस मिस हुई, तो स्पष्टीकरण देना होगा।
नया नियम क्यों?
पहले, सिर्फ एक बार अटेंडेंस लेकर कई शिक्षक ट्रेनिंग सेंटर छोड़ देते थे। यह न केवल प्रशिक्षण के उद्देश्य को कमजोर करता था, बल्कि इसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठाता था।
एसीएस सिद्धार्थ का निर्देश
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, डॉ. एस. सिद्धार्थ, ने "एससीईआरटी" के निदेशक को इन बदलावों को लागू करने के निर्देश दिए हैं। जिलों के डीईओ को इस बारे में गाइडलाइन भेजी जाएगी।
इससे शिक्षकों को क्या लाभ होता है?
1. सुविधा: दूसरे जिलों में जाने की जरूरत नहीं।
2. पारदर्शिता: बायोमेट्रिक उपस्थिति निष्पक्षता और अनुशासन सुनिश्चित करती है।
3. कुशल प्रशिक्षण: पूरे दिन की उपस्थिति से प्रशिक्षण का अधिकतम लाभ मिलेगा।
यह नई प्रक्रिया शिक्षकों को बेहतर ट्रेनिंग अनुभव देगी और शिक्षा प्रणाली में सुधार को एक कदम और आगे ले जाएगी। "तो, शिक्षकों, इस अनुशासित लेकिन सुविधाजनक प्रशिक्षण प्रक्रिया के लिए तैयार रहें"