- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
बिहार के 4 विधानसभा सीट्स- इमामगंज, बेलागंज, तराई और रामगढ पर हो रहे उपचुनाव में राजनीतिक पार्टीज और कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। वोटर्स बुधवार को अपना मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे और ये चुनाव काफी मायने रखते हैं, क्यूंकि यहाँ हर सीट पर एक तरह से 'विरासत बचाने' की लड़ाई है। किसी भी सीट पर उलट-पलट अगर होती है तो बड़े नेताओं के लिए राजनीतिक नुकसान हो सकता है।
गया में पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर
इमामगंज सीट पर, केंद्रीय मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के लिए ये चुनाव एक बड़ी चुनौती है। यहाँ उनकी बहु दीपा मांझी एनडीए की तरफ से उम्मीदवार हैं और उनका राजद और जन सूरज पार्टी के उम्मीदवार से कड़क मुकाबला है। ऐसे में, यह सीट सिर्फ चुनाव नहीं बल्कि उनकी राजनीतिक साख सवाल बन गया है।
रामगढ सीट पर जगदानंद सिंह के बेटे का भविष्य दांव पर
रामगढ सीट से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजित सिंह चुनाव में हैं। यह सीट उनके बड़े बेटे सुधाकर सिंह के एमपी बनने के बाद खाली हुई थी। इसलिए यह सीट राजद और जगदानंद सिंह के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गयी है। राजद ने तेजश्वी यादव का भी पूरा समर्थन यहाँ पर लिया है, जिन्होंने रैली और अभियान में अपना पूरा पहल दिया है।
बेलागंज में सुरेंद्र यादव की साख की बात
बेलागंज सीट भी राजद के साथ सुरेंद्र यादव के साख से जुडी है। यहाँ राजद ने उनके बेटे डॉ. विश्वनाथ को उम्मीदवार बनाया है। बेलागंज पर सुरेंद्र यादव ने पहले से ही काफी लम्बे समय तक अपनी पकड़ बनाये रखी है। लेकिन इस बार जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी को समर्थन देने सीएम नीतीश कुमार भी आये, जिन्होंने वोटर्स को 'लालू यादव के राज' की याद दिलाई।
तरारी में प्रशांत किशोर ने बनायी लड़ाई मज़ेदार
इस उपचुनाव में तरारी सीट सबकी दिलचस्पी पकडे हुए है, जहाँ बीजेपी ने सुनील पांडेय के बेटे को उम्मीदवार बनाया है। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सूरज यहाँ से उम्मीदवार उतारक चुनाव को और मज़ेदार बना दिया है। सभी की नज़र इस पर है की क्या जन सूरज अपनी पहली चुनावी सफलता प्राप्त कर सकता है और यहाँ की विरासत राजनीति को चुनौती दे सकता है।
यह उपचुनाव केवल सीट जीतने का सवाल नहीं बल्कि बड़े नेताओं के राजनीतिक करिश्मा और उनके भविष्य की रणनीतियों के लिए भी एक अग्नि परीक्षा है।