- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
पटना के फोर्ड हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने चिकित्सा क्षेत्र में उम्मीद की नई किरण जगाई। 75 साल के राजेंद्र प्रसाद, जिनका हृदय मात्र 20% काम कर रहा था, सांस की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। दवाइयों के बावजूद उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा था। ऐसे समय में डॉक्टर बीबी भारती ने सीआरटीडी (कार्डियक रिसिंक्रोनाइजेशन थेरेपी डिवाइस) तकनीक से उनका सफल इलाज कर, उन्हें नई जिंदगी दी।
कैसे सीआरटीडी डिवाइस ने बुजुर्ग की जान बचाई
सीआरटीडी डिवाइस का यह आधुनिक और प्रभावी उपचार उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। इस डिवाइस का इस्तेमाल तब किया जाता है जब हृदय की धड़कन असमान हो और दवाइयों का असर नहीं हो रहा हो। राजेंद्र प्रसाद का दिल पहले दवाओं से भी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था, और सांस की तकलीफ हर दिन बढ़ती जा रही थी।
डॉ. बीबी भारती ने पूरी टीम के साथ सूक्ष्मता से उनका उपचार शुरू किया और सीआरटीडी डिवाइस को उनके हृदय में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया। इस कदम से उनके दिल की कार्यक्षमता में तेजी से सुधार हुआ। अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, अब राजेंद्र प्रसाद को सांस लेने में कोई कठिनाई नहीं हो रही है और उनका हृदय अधिक प्रभावी ढंग से काम करने लगा है।
सीआरटीडी डिवाइस का उपयोग कब किया जाता है?
सीआरटीडी डिवाइस का इस्तेमाल उन मरीजों के लिए किया जाता है जो गंभीर हृदय रोग से पीड़ित होते हैं और दवाओं से राहत नहीं पा रहे होते। यह डिवाइस दिल की धड़कनों को संतुलित कर रक्त संचार में सुधार करती है, जिससे हृदय बेहतर काम करने लगता है। राजेंद्र प्रसाद के मामले में भी इस डिवाइस ने रामबाण का काम किया।
चिकित्सा क्षेत्र में एक नई उम्मीद
यह मामला फोर्ड हॉस्पिटल के लिए एक बड़ी सफलता है और हृदय रोगियों के लिए आशा का प्रतीक। इस तरह की तकनीकें न केवल जीवन बचाती हैं बल्कि बुजुर्ग मरीजों को भी एक बेहतर जीवन जीने का मौका देती हैं।