Sunday, December 22, 2024

शरद पवार ने दिए चुनावी राजनीति से संन्यास लेने के संकेत, कहा- कहीं तो रुकना होगा


महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने एक बड़ा बयान देते हुए संकेत दिए हैं कि अब वो चुनावी राजनीति से दूरी बना सकते हैं। अपने 14 चुनावों के अनुभव और सत्ता से दूरी की चाह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे सत्ता नहीं चाहिए, बस समाज के लिए काम करना है।" बारामती दौरे पर पवार ने स्पष्ट किया कि वह नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का मौका देना चाहते हैं और अब उन्हें रुक जाना चाहिए।

अब बस नई पीढ़ी को मौका देने का वक्त

पवार ने कहा, "मैंने अब तक 14 बार चुनाव लड़ा है, और हर बार जनता ने मुझे चुना है। लेकिन अब लगता है कि मुझे थम जाना चाहिए।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नई पीढ़ी को आगे आने देना चाहिए और अब खुद को चुनावी दौड़ से अलग कर लेना चाहिए। यह बयान महाराष्ट्र में आगामी चुनावों के ठीक पहले आया है, जिससे राजनीति में हलचल मच गई है।

अजित पवार के काम की सराहना, लेकिन नया नेतृत्व भी ज़रूरी

बारामती में शरद पवार ने अपने भतीजे और डिप्टी सीएम अजित पवार के काम की तारीफ की, मगर उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए एक नए नेतृत्व की जरूरत भी बताई। अपने भतीजे युगेंद्र पवार के लिए समर्थन जुटाने आए शरद पवार ने कहा, "अजित पवार ने यहां 25-30 साल तक काम किया है, लेकिन आने वाले तीन दशकों के लिए हमें ऐसे नेताओं को तैयार करना होगा जो भविष्य में इस क्षेत्र का विकास कर सकें।"

परिवार के भीतर मुकाबला, लेकिन अब सशक्त नेतृत्व का समय

पवार ने यह भी स्वीकार किया कि बारामती में हालिया चुनावी मुकाबले में परिवार के भीतर ही चुनौती थी, जब उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने लोकसभा चुनाव में अपनी भाभी सुनेत्रा पवार को मात दी थी। अब विधानसभा चुनाव में युगेंद्र पवार भी अपने चाचा अजित पवार के खिलाफ मैदान में हैं। शरद पवार ने मजाकिया अंदाज में कहा कि बारामती के लोग परिवार के भीतर इस चुनौती को फिर से देख रहे हैं, लेकिन भविष्य के लिए एक मजबूत और समर्पित नेतृत्व की जरूरत है।

अजित पवार पर हल्का तंज और जनता से भरोसे की उम्मीद

पवार ने हंसते हुए कहा, "अगर कोई दावा करे कि वह सब कुछ ले सकता है, तो लोग कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सब चुप रहेंगे। लोग ऐसे दावों पर यकीन नहीं करते।" इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि बारामती के लोगों ने उन्हें हमेशा समर्थन दिया है और वह यहां वोट मांगने नहीं, बल्कि अपने लोगों के साथ संवाद करने आए हैं।

शरद पवार के इस बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई हलचल पैदा हो गई है। जहां एक तरफ वह सत्ता से दूरी और नई पीढ़ी को मौका देने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने परिवार और पार्टी के भीतर सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पवार की यह नई सोच आगामी चुनावों में उनके दल और समर्थकों को किस दिशा में ले जाती है।

Super Admin

Santosh Singh

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