- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में इस बार उत्तर भारतीय उम्मीदवारों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है। मुंबई और इसके आसपास के क्षेत्रों में 35 लाख से ज्यादा उत्तर भारतीय मतदाता हैं, जो अब राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख पार्टियां इस बार उत्तर भारतीय उम्मीदवारों को टिकट देने में पीछे नहीं रही हैं, और इन उम्मीदवारों का चुनावी मैदान में उतरना, राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे रहा है।
भाजपा और कांग्रेस ने उतारे उत्तर भारतीय चेहरे
इस बार भाजपा ने कई प्रमुख उत्तर भारतीय उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। भाजपा ने कालीना से अमरजीत सिंह, गोरेगांव से विद्या ठाकुर, बोरीवली से संजय उपाध्याय और वसई से स्नेहा दुबे को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने भी उत्तर भारतीयों को नजरअंदाज नहीं किया है। चांदीवली से मोहम्मद आरिफ नसीम खान, मालाड (पश्चिम) से असलम शेख, चारकोप से यशवंत सिंह और नालासोपारा से संदीप पांडे को उम्मीदवार बनाया है।
भारी संख्या में उत्तर भारतीय, बदलते चुनावी समीकरण
मुंबई महानगर क्षेत्र में उत्तर भारतीयों की संख्या काफी बड़ी है, और इनका प्रभाव अब सिर्फ मुंबई तक सीमित नहीं है, बल्कि ठाणे, कल्याण, नई मुंबई, वसई और विरार जैसे क्षेत्रों में भी इनकी अहम भूमिका बन चुकी है। राज्य के बड़े शहरों जैसे नागपुर, पुणे, नासिक और औरंगाबाद में भी अब उत्तर भारतीयों का वोटर बैंक निर्णायक बन गया है। इन क्षेत्रों में हिंदी भाषी मतदाता राजनीतिक फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वोटबैंक की ताकत और भाजपा-कांग्रेस के लिए चुनौती
उत्तर भारतीयों के इस प्रभाव को देखते हुए, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने इस वोटबैंक को साधने के लिए रणनीतिक कदम उठाए हैं। भाजपा पर यह आरोप अक्सर लगते रहे हैं कि वह उत्तर भारतीय वोट तो लेती है, लेकिन उन्हें पर्याप्त टिकट नहीं देती। हालांकि, इस बार भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले उत्तर भारतीय उम्मीदवारों को टिकट देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने इस चुनाव में चार-चार उत्तर भारतीय उम्मीदवार उतारे हैं, जिससे इन दोनों दलों के बीच चुनावी समीकरण और भी दिलचस्प हो गए हैं।
प्रचार में जुटे उत्तर भारतीय नेता
चुनाव प्रचार में भी अब उत्तर भारतीय नेताओं का बोलबाला है। भाजपा ने विशेष रूप से जौनपुर, वाराणसी, और प्रयाग के नेताओं को मुंबई में बुलाकर प्रचार अभियान को तेज किया है। जौनपुर के विधायक रमेश चंद्र मिश्र ने बताया कि वे पिछले दो महीने से मुंबई के एक इलाके में प्रचार कर रहे हैं, और भाजपा ने उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के कई नेताओं को अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचार के लिए भेजा है। इन नेताओं का मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों से सीधा संवाद स्थापित करना और उनके मुद्दों को समझना है।
कांग्रेस की पुरानी पहचान और बदलता राजनीति का रंग
मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में उत्तर भारतीय समाज, खासकर कांग्रेस का पारंपरिक वोटर रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलापति त्रिपाठी जब चुनाव प्रचार के लिए मुंबई आते थे, तो वे न केवल मुंबई बल्कि उत्तर भारतीयों के गांवों तक पत्र भेजकर कांग्रेस को वोट देने की अपील करते थे। अब जबकि उत्तर भारतीयों को दोनों प्रमुख दलों ने टिकट दिए हैं, तो पार्टी को भी ये इलाकों में अपना आधार बनाए रखने के लिए नए तरीके अपनाने होंगे।
नए नेतृत्व के साथ बढ़ते जनसंपर्क प्रयास
इस बार के चुनाव में यह भी देखा जा रहा है कि राजनीतिक दल केवल उम्मीदवारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जनसंपर्क अभियान को भी बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। भाजपा ने विशेष रूप से उत्तर भारतीय क्षेत्रों के नेताओं को मुंबई में बुलाकर प्रचार अभियान को गति दी है। इन नेताओं का मुख्य कार्य स्थानीय लोगों से संपर्क करना और उनकी समस्याओं को समझना है, ताकि चुनावी समीकरण उनके पक्ष में जा सकें।
नतीजा क्या होगा?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में उत्तर भारतीय उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि, राजनीति के पुराने समीकरणों को चुनौती दे रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में उत्तर भारतीयों का बढ़ता प्रभाव किस तरह से पार्टी के चुनावी परिणामों को प्रभावित करता है। फिलहाल सभी दलों ने अपने-अपने स्तर पर उत्तर भारतीयों को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है, और अब मतदाता ही तय करेंगे कि इस चुनाव में किसका पलड़ा भारी होगा।