Monday, December 23, 2024

गंगा में फिर लौटी जिंदगी: फतुहा के गंगा नदी में वापस दिख रही है डॉल्फिन्स, सुबह-शाम होती हैं उनकी अनोखी अटखेलियां


पटना के फतुहा में त्रिवेणी संगम घाट पर एक बार फिर से डॉल्फिंस की मस्ती नज़र आने अलगी हैं। सुबह के 8-10 बजे और शाम के 3-5 बजे, यहाँ की गंगा में उछलती कूदती डॉल्फिंस देखने लोग जमावड़ा लगते हैं। ये नज़ारा एकदम अद्भुत है और लोग इसका आनंद लेने के लिया नाओ का भी इश्तेमाल करते है। 

18 -20 डॉल्फिंस एक साथ

सोमवार को फतुहा के संगम के आस-पास एक किलोमीटर का अंदर में लहभग 18-20  डॉल्फिंस अठखेलियां करते दिखाई दी। यह सिर्फ नेचर लवर्स के लिए नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी एक  बड़ी आकर्सन का केंद्र बन गया है।  

फतुआ के अलावा और कहाँ देख सकते है डॉल्फिंस ?

फतुहा का त्रिवेणी संगम घाट के अलावा, कटाया घाट और मस्ताना घाट पर भी कभी-कभी डॉल्फिंस देखि जा सकती हैं, लेकिन त्रिवेणी संगम घाट डॉल्फिंस देखने के लिए सबसे भरोसेमंद बन गया है। 

"राष्ट्रीय जलीय जीव  का स्थिति और गंगा की शान "

क्या आपको पता है की गंगा डॉल्फिंस को 15 साल पहले, अक्टूबर 5 , 2009 को, राष्ट्रीय जलजीव घोषित किया गया था? 

इस का श्रेय पटना विश्वविद्यायल के प्रोफेसर डॉ.आर.के. सिन्हा को दिया जाता है। डॉल्फिंस की स्थिति नदी स्थित में चीता के बराबर है, और वो नदी की भोजन चक्र में सबसे ऊपर होती हैं। 

डॉल्फिंस का जीवन चक्र भी काफी अद्वितीय है, ये 9 महीनो तक गर्भावस्था धारण करती है, और अपने बच्चों को दूध पिलाकर बड़ा करती हैं। 

पटना के गाँधी घाट से लेकर फतुआ तक के दुरी में लगभग 24 डॉल्फिंस रहती हैं।   

मजेदार तथ्य : दुनिया की एक-तिहाई डॉल्फिंस सिर्फ बिहार में हैं।  

"प्रकृति प्रेमियों के लिए उच्चय स्थान"

अगर आप भी डॉल्फिंस की मस्ती का मज़ा लेना चाहते हैं।, तो सुबह या शाम का समय उचित हैं। प्रकृति के इस खूबसूरत गिफ्ट को देखने का मौका मत छोड़िये ! 

तो कब प्लान कर रहे हो फतुहा का एक प्रकृति-भरा हुआ यात्रा ?


Super Admin

Santosh Singh

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