- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
भगवान सूर्य को सुबह की अर्घ्य के साथ ही चैती छठ संपन्न हो गया। आस्था के महापर्व चैती छठ के सुबह अर्घ्य के बाद व्रतियों ने 36 घंटों के निर्जला उपवास को तोड़ा। इस पर्व में घाटों पर काफी भीड़ देखने को मिले। चैती छठ उमंग और उत्साह के साथ खत्म हुआ। चैती छठ की शुरुआत नहाय-खाय से हुई थी। शनिवार को दिन खरना और रविवार के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया था। वहीं आज चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्य के साथ ही इस पर्व का समापन हुआ।
ऐसी मान्यता है कि छठ माता भगवान सूर्य की बहन हैं और उन्ही को खुश करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना करते हुए छठ की पूजा की जाती है। जिससे खुश होकर छठी मैया मुरादें पूरी करती है। छठ पूजा करने से परिवार का कल्याण होता है। साथ ही ये व्रत संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। छठी मैया के आशीर्वाद से संतान प्राप्ति भी होती है। भारत में पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में छठ पूजा को बहुत धूमधाम से मनाया गया। हालांकि अब इन राज्यों के साथ ही अन्य राज्यों में भी लोग छठ पूजा को मनाया।
छठ पूजा करने से मनोकामना की पूर्ति
भक्तों का मानना है कि इस कठिन तप को करने से उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है। कुछ श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने के बाद कोशी भराई का कार्य भी करते हैं, इसमें चारों तरफ मिट्टी की हाथी के दिये जलाये जाते हैं और उस पर गन्ना लगाया जाता है। बता दें कि यह काफी पवित्र त्यौहार है। इसमें साफ-सफाई, शुद्धता और नियम का विशेष ध्यान रखा जाता है।