- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
बिहार विधानमंडल का पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो चुका है, और यह सत्र काफी हंगामेदार रहने की उम्मीद है। विधानसभा के पहले दिन सत्ता और विपक्ष के बीच जबरदस्त गहमागहमी देखने को मिली। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्र शुरू होने से पहले विधानमंडल पहुंचकर विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव से मुलाकात की और पुष्पगुच्छ भेंट किया। उन्होंने विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह से भी औपचारिक मुलाकात की।
नए विधायकों ने ली शपथ
हाल ही में हुए चार विधानसभा सीटों के उपचुनाव में विजयी उम्मीदवारों को शपथ दिलाई गई। रामगढ़ से भाजपा के अशोक सिंह, इमामगंज से हम की दीपा मांझी और बेलागंज से जदयू की मनोरमा देवी ने अपनी विधायकी की औपचारिक शुरुआत की। वहीं, तरारी से विजयी भाजपा के विशाल प्रशांत मंगलवार को शपथ लेंगे।
पहले दिन की हलचल
सत्र की शुरुआत में विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने सभी सदस्यों से अपील की कि सदन में चर्चा और बहस को रचनात्मक बनाए रखें। इस बीच, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री का विधानसभा परिसर में गर्मजोशी से स्वागत किया। विजय चौधरी, अशोक चौधरी और श्रवण कुमार सहित कई नेता नीतीश कुमार के साथ मौजूद रहे।
एनडीए के हौसले बुलंद, विपक्ष के तेवर सख्त
दो दिन पहले घोषित उपचुनाव परिणाम एनडीए के पक्ष में रहे, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन उत्साहित नजर आया। एनडीए खेमे ने इसे जनता का नीतीश सरकार पर भरोसा और विपक्ष पर अविश्वास करार दिया है। वहीं, विपक्ष ने सत्र को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है।
सत्र के संभावित मुद्दे
इस बार का शीतकालीन सत्र कई बड़े मुद्दों के इर्द-गिर्द घुमेगा:
1. कानून-व्यवस्था: राज्य में बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था पर विपक्ष सरकार से जवाब मांगेगा।
2. स्मार्ट प्रीपेड मीटर: इन मीटरों में खामियों को लेकर विपक्ष आक्रामक है।
3. किसानों की समस्याएं: भूमि सर्वेक्षण में आ रही परेशानियां भी चर्चा का हिस्सा बनेंगी।
4. जहरीली शराब से मौतें: विपक्ष इसे लेकर सरकार को घेरने का पूरा प्रयास करेगा।
5. वक्फ संशोधन विधेयक: और "गौतम अडानी की कंपनियों पर आरोप" भी चर्चा में रहेंगे।
29 नवंबर तक चलेगा सत्र
इस सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस और राजनीतिक नाटक देखने को मिल सकता है। सत्र का समापन 29 नवंबर को होगा, लेकिन इससे पहले सदन में कई अहम फैसले और चर्चाएं होने की संभावना है।
बिहार विधानमंडल का यह शीतकालीन सत्र सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी टकराव और नई राजनीतिक रणनीतियों का गवाह बनेगा। जनता के मुद्दों पर चर्चा और हल निकालने का दावा तो हर पक्ष कर रहा है, लेकिन असल में कितना हासिल होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।