- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो अपनी राजनीति के चलते अक्सर सुर्खियों में रहते हैं, एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में हैं। हर मंच पर वह ये जरूर कहते हैं, "हम अब कहीं नहीं जाएंगे, यही रहेंगे।" अब सवाल उठता है, क्या उनका ये बयान सच में स्थिर राजनीति को दर्शाता है, या फिर हम फिर से उनकी पलटी का इंतजार कर रहे हैं?
नीतीश कुमार, जिनकी राजनीति देशभर में एक मिसाल बन चुकी है, नौ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। 2005 से लेकर आज तक, नीतीश लगातार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं। पहले एनडीए का हिस्सा रहे, फिर दो बार आरजेडी के साथ गठबंधन किया, और अब फिर से एनडीए में लौट आए हैं। लेकिन उनकी यही उठापटक राजनीति अब लोगों के मन में सवाल पैदा कर रही है। क्या उनका 'अब हम कहीं नहीं जाएंगे' बयान सिर्फ चुनावी चाल है या सच में उन्होंने अपना रुख तय कर लिया है?
क्या नीतीश कुमार का मन बदलने वाला है?
बिहार की राजनीति में फिलहाल यह चर्चा जोरों पर है कि नीतीश कुमार बार-बार यह क्यों कह रहे हैं कि वह कहीं नहीं जाएंगे? क्या यह उनका राजनीतिक गेम है या वाकई उनका रुख स्थिर हो चुका है? इस सवाल पर राजनीति में गहमागहमी बढ़ गई है। आरजेडी के प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने तो साफ कह दिया कि बिहार में 'खेला' होने वाला है, और भाजपा ने नीतीश पर कुर्सी छोड़ने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। भाई वीरेंद्र का कहना है कि महाराष्ट्र, झारखंड और बिहार के उपचुनावों के नतीजे के बाद राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है।
भले ही भाई वीरेंद्र का दावा सच्चा हो या न हो, लेकिन राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है, खासकर जब बात नीतीश कुमार की हो। वे अपने फैसले लेने में माहिर हैं और समय आने पर क्या कदम उठाएंगे, यह कोई नहीं जान सकता।
क्या बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए के साथ होंगे या आरजेडी के?
2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, और नीतीश कुमार अपने 10वें कार्यकाल की तैयारी में लगे हैं। यह तो साफ है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा, लेकिन क्या वह फिर से भाजपा के साथ शपथ लेंगे या आरजेडी के साथ, यह देखना बाकी है। बिहार की राजनीति में कौन-सा गठबंधन किस पल पलटेगा, यह भविष्य ही बताएगा।
क्या उपचुनावों के नतीजे बदल सकते हैं खेल?
बिहार में हुए चार उपचुनावों की चर्चा भी तेज हो गई है। बेलागंज सीट पर जेडीयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी हैं, लेकिन सर्वे रिपोर्ट्स कह रही हैं कि जेडीयू के लिए हालात अच्छे नहीं हैं। अगर जेडीयू ये सीट हार जाती है, तो नीतीश कुमार को बड़ा झटका लग सकता है। इसके अलावा, तिरहुत स्नातक सीट पर भी जेडीयू को खतरा है, क्योंकि यहां के उम्मीदवार अभिषेक झा के सामने चिराग पासवान के समर्थक खड़े हैं। अगर जेडीयू ये चुनाव हार जाती है, तो पार्टी में एक और अंदरूनी तूफान आ सकता है, और नीतीश कुमार को अपने भविष्य के बारे में सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा।
क्या होगा अगर जेडीयू हार गई?
अगर बेलागंज और तिरहुत स्नातक सीटें जेडीयू हार जाती हैं, तो यह बिहार में राजनीतिक भूचाल ला सकता है। 2020 में हुए विधानसभा चुनावों की तरह, जेडीयू का वोट बैंक बीजेपी में ट्रांसफर हुआ था, और इससे नीतीश कुमार की पार्टी महज 43 सीटों पर सिमट गई थी। ऐसे में अगर उपचुनावों के नतीजे जेडीयू के खिलाफ जाते हैं, तो नीतीश कुमार के लिए एनडीए में बने रहना या नहीं, यह एक बड़ा सवाल होगा।
अंतिम फैसला: समय ही बताएगा
अब सवाल ये है कि नीतीश कुमार का 'कहीं नहीं जाएंगे' वाला बयान क्या सच है, या फिर यह उनका सिर्फ एक और राजनीतिक दांव है? बिहार की राजनीति में हालात तेजी से बदल सकते हैं और यह साफ है कि 2025 का चुनाव ही ये तय करेगा कि नीतीश कुमार किसे अपने साथ बनाएंगे – एनडीए या आरजेडी। राजनीति की ये घुमावदार राहें बहुत कुछ बदलने वाली हैं, और जैसे-जैसे उपचुनाव के नतीजे सामने आएंगे, तस्वीर और साफ होगी।
लेकिन, एक बात तो तय है: नीतीश कुमार के बारे में कुछ भी कहना आसान नहीं, क्योंकि वे कभी भी पलटी मार सकते हैं!