Sunday, December 22, 2024

बिहार में 'एम' की जंग: नीतीश और तेजस्वी की यात्राओं में महिला और मुस्लिम वोट बैंक पर फोकस


बिहार में चुनावी फिजा गर्म होने लगी है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने-अपने मजबूत वोट बैंक, यानी 'एम'' (महिला और मुस्लिम) को साधने में जुट गए हैं। जहां नीतीश कुमार अपनी 'महिला संवाद यात्रा' के जरिए महिलाओं का समर्थन फिर से हासिल करने की कोशिश करेंगे, वहीं तेजस्वी यादव की यात्रा मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने पर केंद्रित है।

यात्राओं का आगाज: नीतीश बनाम तेजस्वी

नीतीश कुमार अपनी 'महिला संवाद यात्रा' 15 दिसंबर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं। वहीं, तेजस्वी यादव ने बाजी मारते हुए 4 दिसंबर से ही अपनी यात्रा का आगाज कर दिया। इन यात्राओं का केंद्र बिंदु 'एम'' समीकरण (महिला और मुस्लिम) है, जो दोनों नेताओं के लिए आगामी चुनावों में जीत की चाबी साबित हो सकता है।  

तेजस्वी का 'एम'+'वाई' समीकरण: मुस्लिमों को साधने की रणनीति

तेजस्वी यादव की यात्रा इस बार उनकी पार्टी राजद के पारंपरिक 'एम'+'वाई' (मुस्लिम और यादव) वोट बैंक को फिर से एकजुट करने पर केंद्रित है। हालिया उपचुनाव में राजद को हार का सामना करना पड़ा, जहां मुस्लिम मतदाताओं का विभाजन एक बड़ा कारण रहा। तेजस्वी यादव इस नुक्सान की भरपाई के लिए कार्यकर्ता सम्मेलन के तीसरे चरण में मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय, और लखीसराय जैसे जिलों में मुस्लिम बहुल इलाकों पर खास फोकस कर रहे हैं।  

राजद सूत्रों के मुताबिक, इस यात्रा के जरिए तेजस्वी यादव मुस्लिम मतदाताओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे उनके अधिकारों और मुद्दों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। "वक्फ बोर्ड संशोधन बिल" पर तेजस्वी का एनडीए सरकार और नीतीश कुमार पर हमला भी इसी रणनीति का हिस्सा है।

नीतीश का 'महिला संवाद': शराबबंदी और फीडबैक का सहारा

दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिलाओं को साधने के लिए *महिला संवाद यात्रा* पर निकलने वाले हैं। उनकी योजना महिलाओं से संवाद कर यह समझने की है कि शराबबंदी का उनके जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ा है।  

नीतीश कुमार, जो महिलाओं के समर्थन से सत्ता में लंबे समय से बने हुए हैं, शराबबंदी पर आई आलोचनाओं के बीच अब महिलाओं से फीडबैक लेकर संभावित संशोधनों पर विचार कर सकते हैं। जदयू सूत्रों के अनुसार, इस यात्रा का उद्देश्य महिलाओं के सुझावों के आधार पर नई योजनाओं को लागू करना और मौजूदा योजनाओं का फीडबैक लेना है।  

चुनावी जंग में किसका दांव पड़ेगा भारी?

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव, दोनों के दांव चुनावी जीत पर केंद्रित हैं। नीतीश का भरोसा महिलाओं पर है, जबकि तेजस्वी मुस्लिम मतदाताओं को साधने में जुटे हैं। इन यात्राओं का असली परिणाम 2025 के विधानसभा चुनाव में ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल 'M' समीकरण ही दोनों के चुनावी अभियान का केंद्र बिंदु बना हुआ है।

निष्कर्ष: 

चुनाव की गर्मी में बिहार के मतदाता अब देखेंगे कि कौन 'एम' की जंग में बाजी मारता है—नीतीश का महिला वोट बैंक या तेजस्वी का मुस्लिम समीकरण। एक बात तो तय है, बिहार की चुनावी राजनीति में यह 'एम' समीकरण निर्णायक भूमिका निभाएगा।

Super Admin

Santosh Singh

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