Sunday, December 22, 2024

बिहार चुनाव 2025: तेजश्वी यादव के लिए आसान राह नहीं, पीके और ओवैसी का बन रहा है डबल ट्रबल


बिहार की राजनीति में 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ा इम्तिहान साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री पद के लिए 9 साल से प्रतीक्षारत तेजस्वी को इस बार न सिर्फ बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन एनडीए का सामना करना है, बल्कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (पीके) और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम से भी कड़ी टक्कर मिलेगी। ये दोनों पार्टियां तेजस्वी के वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी तैयारी में हैं।  

पीके और ओवैसी: राजद के वोट बैंक के नए चैलेंजर  

2020 के चुनाव में ओवैसी की एआईएमआईएम ने सीमांचल में राजद को भारी नुकसान पहुंचाया था। पांच सीटें जीतकर एआईएमआईएम ने ये साबित कर दिया था कि राजद का वोट बैंक अब सुरक्षित नहीं है। वहीं, हालिया उपचुनावों में पीके की जन सुराज पार्टी ने भी अपनी ताकत दिखा दी। इमामगंज में उनके उम्मीदवार ने 37 हजार वोट लेकर राजद की हार तय कर दी, जबकि बेलागंज में 17 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए।  

पीके ने 2025 के लिए 40 मुस्लिम और 40 महिला उम्मीदवारों को टिकट देने की घोषणा कर दी है। उनका लक्ष्य है कि उपचुनाव में मिले 10% वोट को बढ़ाकर 40% तक ले जाया जाए। दूसरी ओर, ओवैसी की पार्टी सीमांचल में लगातार सक्रिय है और राजद के वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है।  

तेजस्वी के सामने कई मोर्चे  

तेजस्वी के लिए मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। उन्हें एनडीए के मजबूत गठबंधन से भी लड़ाई लड़नी है। नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच भले ही 2022 में अलगाव हो गया था, लेकिन अब जेडीयू और बीजेपी फिर से साथ आ सकते हैं। ऐसे में 2025 का चुनाव राजद के लिए दोतरफा चुनौती लेकर आएगा।  

'पी-ए' फैक्टर बना सिरदर्द 

बिहार में तेजस्वी के लिए 'पी-ए' फैक्टर (पीके और एआईएमआईएम) सिरदर्द बनता जा रहा है। पीके की पार्टी ने उपचुनावों में यह साफ कर दिया कि वे सिर्फ लड़ने के लिए मैदान में नहीं हैं, बल्कि जीत का लक्ष्य लेकर आए हैं। वहीं, ओवैसी की पार्टी पहले ही सीमांचल में राजद के वोट काट चुकी है।  

तेजस्वी की सियासी यात्रा पर एक नजर  

तेजस्वी यादव ने 2015 में डिप्टी सीएम बनकर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन सरकार बनाने से चूक गई। 2022 में नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने से तेजस्वी दोबारा डिप्टी सीएम बने। हालांकि, मुख्यमंत्री बनने का सपना अब भी अधूरा है।  

क्या तेजस्वी पार करेंगे 2025 की चुनौती? 

2025 का चुनाव तेजस्वी के लिए आसान नहीं होगा। एक तरफ एनडीए का मजबूत गठबंधन, दूसरी तरफ पीके और ओवैसी की पार्टियां, और बीच में बंटता वोट बैंक। तेजस्वी को अपनी रणनीति को पूरी तरह बदलकर मैदान में उतरना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन चुनौतियों से कैसे निपटते हैं और क्या वे मुख्यमंत्री पद की अपनी 9 साल की प्रतीक्षा को समाप्त कर पाएंगे।  

Super Admin

Santosh Singh

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