Monday, October 6, 2025

2025 के विधानसभा चुनाव (243 सीटें) अक्टूबर–नवंबर 2025 में होने तय हैं; बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए।


2025 के विधानसभा चुनाव (243 सीटें) अक्टूबर–नवंबर 2025 में होने तय हैं; बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए। 


प्रमुख धड़े: NDA (BJP + JDU + कुछ छोटे घटक) और महा–गठबंधन / MGB (RJD + कांग्रेस + Left पार्टियाँ + कुछ क्षेत्रीय दल)। दोनों पक्ष अभी सीट-बँटवारे और मोर्चाबंदी में व्यस्त हैं; कांग्रेस और RJD के बीच सीटों पर तनातनी रिपोर्टों में आ रही 


1) गठबंधन-राजनीति: समीकरण अभी तय नहीं, और वही निर्णायक होगा


बिहार में पिछली कई बार की तरह इस बार भी अकेला कोई बड़ा दल समग्र बहुमत के काबिल नहीं दिखता इसलिए सीट-बँटवारा और गठबंधन-शक्ति नतीजे तय करेंगे। NDA के भीतर JD(U) और BJP की साझा ताकत अभी भी बड़ी है, पर दोनों के बीच सीटों का व्यवहार (किसको कितनी सीटें मिलेंगी) व स्थानीय लीडरशिप का असर निर्णायक होगा। दूसरी ओर, MGB (RJD-led महागठबंधन) में कांग्रेस अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जिससे RJD-Congress के बीच तालमेल पर दबाव बना है अगर सीट-वितरण पर दरार आई तो MGB का समेकन कमजोर पड़ सकता है। 


2) मुद्दे: जाति-राजनीति अभी भी केंद्रीय पर विकास और रोजगार भी बड़े कारण


बिहार का चुनावी गणित पारंपरिक रूप से जाति-संतुलन पर टिका रहा है  यादव, करीबदार OBC समूह, मीनार/दलित वोट, और पिछड़ा/क्षेत्रीय विभाजन निर्णायक हैं। पर 2025 में आर्थिक विषय  रोजगार, पलायन, उद्योग/निवेश और कृषि भी ज़्यादा उभरकर आए हैं। राज्य सरकार और उद्योग विरोधी/सकारात्मक दोनों कथन इस पर निर्भर करेंगे कि शहरी/गरीबी-प्रवासी वोटर किसे जवाबदेह मानते हैं। हालिया रिपोर्टों में राज्य के अंदर रोजगार और निवेश के संकेतों का हवाला है  यह NDA के विकास-वाद को तर्क देगा यदि जमीन पर असर दिखा। 


3) चुनावी रणनीति: RJD की मुखर विपक्षीय भूमिका vs NDA की शासन-कथा


Tejashwi Yadav (RJD) ने युवा/किसान/गरीब-केंद्रित नारों के साथ प्रचार तेज किया है; विपक्षी इकट्ठ में जनता के नारों पर फोकस रहेग़ा। NDA की रणनीति पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों, कानून-व्यवस्था (जहाँ वे खुद को मजबूत बताते हैं), और विकास-प्रोग्राम पर रहेगी। पर 2025 के चुनाव में सीट-बँटवारे पर अंदरुनी खींचतान (विशेषकर कांग्रेस-RJD में और NDA के भीतर JD(U)-BJP के बीच) सबसे बड़ा जोखिम है। 


4) कांग्रेस-RJD मसला: कांग्रेस की बड़ी माँग और असर


कांग्रेस इस बार बिहार में अपनी स्वीकारोक्ति बढ़ाने की मांग कर रही है  70+ सीटों की मांग जैसी रिपोर्टें आई हैं, जो RJD के लिए चुनौती बन सकती हैं। यदि कांग्रेस अपने इरादों पर कायम रहती है और RJD संतुलित न कर पाता, तो महागठबंधन के भीतर सीट-सहमति कठिन हो सकती हैऔर यह सीधे MGB के कुल प्रदर्शन पर असर डालेगा। 


सम्भावित नतीजों के परिदृश्य (प्राथमिकता क्रम में)


परिदृश्य A — NDA बहुमत (स्पष्ट या संकुचन के साथ)


शर्तें: BJP-JD(U) के बीच कुशल सीट-वितरण, स्थानीय स्तर पर मजबूत उम्मीदवार, और विकास/रोजगार की ग्राहक-कहानी का असर। NDA की जीत तब सम्भव है जब MGB की सीट-बँटवारे की दरारें स्पष्ट हों और कांग्रेस-RJD पूरा समन्वय न कर पाएं। यदि NDA दोनों बड़े घटकों (BJP और JDU) में तालमेल बनाए रखे तो वे 122+ तक जा सकते हैं। 


परिदृश्य B, MGB (RJD-led) बहुमत


शर्तें: RJD-Congress-Left अच्छे तालमेल से सीट-बँटवारा करें, कांग्रेस की मांगें न आड़े आएँ, और Tejashwi की युवा-केंद्रित तथा राज्य-विरोधी नीतियाँ व्यापक समर्थन पाएं। ग्रामीण और युवा-वोटों में बड़ा झुकाव मिलना जरूरी होगा। यह परिदृश्य संभव है पर उससे पहले RJD-Congress का आपसी मिलाप निर्णायक होगा। 


परिदृश्य C,  हंग विधानसभा / दम तोड़ता गठबंधन


 गठबंधनों का वोट-विभाजन निकट बराबर बना रहे और बहुमत से below रहे। इससे post-poll alianacing (उदाहरण: छोटे दलों/स्वतंत्रों के साथ सियासी सौदे) की जरूरत पड़ेगी। बिहार का इतिहास बताता है कि हंग विधानसभा में तेज़-तर्रार रालियाँ और जल्दी सरकार-बदल संभव है


निर्णायक कारक किस पर नज़र रखें (What to watch)


1. सीट-बँटवार और अंतिम एलान — कौन किस सीट पर खड़ा होगा; JD(U)-BJP और RJD-Congress के बीच खुले विरोध/समझोते का संकेत। 



2. कांग्रेस-RJD वार्ता की दिशा — कांग्रेस की सीट-माँग पूरी हुई या नहीं। 



3. स्थानीय उम्मीदवारों की स्वीकार्यता — कुछ सीटें स्थानीय नेता/क़स्बाई प्रभाव से तय होती हैं; बड़े नेताओं के विकल्पों का असर। 



4. रोज़गार/आर्थिक संकेत — पलायन/रिवर्स-माइग्रेशन जैसे संकेत वोटर मूड बदल सकते हैं। 



5. फर्स्ट-राउंड मीडिया-ओपिनियन पोल और ट्रेंड्स — मीडिया-ट्रेंड्स और लोकल सर्वे जल्दी बदल सकते हैं; इन्हें सतर्कता से देखें। 


 सम्भव सरकार बनेगी?


साथी पाठक, बिहार की राजनीति इस बार भी पारंपरिक जातीय गणित और गठबंधन-रणनीति का मेल है पर 2025 का बदलाव यह है कि विकास और रोजगार के मुद्दे स्पष्ट रूप से चुनावी परिदृश्य में और महत्व पा रहे हैं। फिलहाल (सितंबर 2025) के संकेतों से कहा जा सकता है:


अगर NDA अपने भीतर की सीट-वितरण चुनौतियों को सुलझा ले और राज्य के विकास/रोजगार के दावों पर वोटरों को राजी कर पाए  तो NDA आमुख (Nitish/JDU + BJP) की सरकार सम्भव है। 


पर यदि RJD और कांग्रेस (MGB) आपस में सीट-वितरण पर समझौता कर लें और ग्रामीण/युवा वोटों में बड़ा झुकाव पैदा कर लें  तो MGB-आधारित सरकार बन सकती है। 


तीसरा सम्भावित और सबसे अनिश्चित परिदृश्य है हंग विधानसभा, जहाँ छोटे दल और निर्दलीय निर्णायक बन सकते हैं; तब post-poll राजनीति तेज़ होगी


वोटर-मूड को समझना है तो स्थानीय मुद्दों + पलायन/रोजगार के संकेत पर ध्यान दें  केवल बड़े नेरेटिव से काम नहीं चलेगा। 


मीडिया-कहानी और वास्तविक जमीन के संकेत अलग हो सकते हैं  इसलिए सीट-स्तरीय रिपोर्ट और स्थानीय सर्वे अधिक भरोसेमंद होंगे। 

Super Admin

Santosh Singh

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