Sunday, December 22, 2024

"झारखंड चुनाव में चंपाई सोरेन की बड़ी हुंकार: 'चुनाव के बाद बनाएंगे आदिवासी अदालत, घुसपैठियों से छीनेंगे ज़मीन"


चंपाई सोरेन झारखंड विधानसभा चुनाव के हॉट सीट सरायकेला से चुनावी मैदान में हैं, और इस बार वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के बजाय भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर उम्मीदवार हैं। कोल्हान क्षेत्र की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले चंपाई, जो पहले जेएमएम के लिए इस क्षेत्र की कमान संभालते आए थे, अब बीजेपी के साथ चुनावी जंग में हैं। 

चंपाई सोरेन ने चुनावी मुद्दों पर बात करते हुए दावा किया कि जीत के बाद आदिवासी समुदाय की ज़मीनों को वापस लेने के लिए ‘बड़ी अदालतें’ बनाई जाएंगी। उनका यह भी कहना था कि अगर राज्य या केंद्र की एजेंसियां मदद करती हैं या नहीं, आदिवासी ग्राम सभाएं अपनी ताकत से जमीनों को वापस लेंगी। इस बयान में विशेष रूप से उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा आदिवासी महिलाओं के साथ किए गए अपराधों का भी जिक्र किया। 

चंपाई ने कहा कि यह मामला चार साल पहले सामने आया था, जब संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ के बारे में पता चला था। उन्होंने इस मुद्दे को विधायक लोबिन हेम्ब्रम द्वारा उठाया गया था, जिनकी शिकायत थी कि घुसपैठियों ने आदिवासी महिलाओं को शिकार बनाया। चंपाई के अनुसार, मंत्री रहते हुए उनकी शक्तियां सीमित थीं, लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने प्रशासन से इस पर डेटा जुटाने का आदेश दिया था। 

चंपाई ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ इलाके जैसे जमाताड़ा, अपराध का केंद्र बन चुके हैं और चुनाव के बाद आदिवासी ग्राम सभाएं इन समस्याओं से निपटने के लिए कदम उठाएंगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि घुसपैठियों द्वारा हड़पी गई ज़मीनों को वापस लिया जाएगा।

वहीं, बीजेपी ने झारखंड चुनाव के लिए अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसका अनावरण किया और इसके बाद एक जनसभा में हेमंत सोरेन सरकार पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। शाह ने कहा कि यह चुनाव केवल सरकार बदलने का नहीं, बल्कि झारखंड का भविष्य सुरक्षित करने का है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार राज्य की अस्मिता—रोटी, बेटी और माटी को बचाने में नाकाम रही है।

झारखंड में मतदान 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे, और वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस चुनावी समर में चंपाई सोरेन की हुंकार से स्थिति और भी रोमांचक हो गई है, जहां आदिवासी अधिकारों और घुसपैठ के मसले पर सियासी मुकाबला तेज़ हो चुका है।

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Santosh Singh

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