- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
3 दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई गांव में जन्मे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, भारत गणराज्य के पहले राष्ट्रपति और महान स्वतंत्रता सेनानी, का योगदान भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में अनमोल है। उनके नेतृत्व और संघर्ष ने न केवल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को नई दिशा दी, बल्कि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
आज, उनके 140वें जयंती के अवसर पर राजेन्द्र चौक में एक भव्य राजकीय समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। माल्यार्पण के बाद, दोनों नेताओं ने स्वदेशी कंबल आश्रम की महिला कारीगरों के बीच साड़ी वितरण कर उनका उत्साहवर्धन किया।
समारोह के बाद, राज्यपाल और मुख्यमंत्री राजेन्द्र घाट स्थित समाधि स्थल पहुंचे, जहाँ उन्होंने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की समाधि पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नन्द किशोर यादव, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, अन्य मंत्रीगण और सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जीवन केवल एक राजनेता का नहीं, बल्कि एक संघर्षशील नेता का था। स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता के तौर पर उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे और 1946 और 1947 में भारत के पहले मंत्रिमंडल में कृषि और खाद्य मंत्री के रूप में कार्य किया।
'राजेन्द्र बाबू' के नाम से मशहूर, इनकी गहरी विद्वता और देशभक्ति ने उन्हें भारतीय राजनीति के सबसे सम्मानित नेताओं में शामिल किया। उनका जीवन आज भी हमें प्रेरणा देता है, और उनकी जयंती हमें उनके योगदान को याद करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है।