- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
क्या आपने सोचा है कि बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों का आधार कार्ड अब तक क्यों नहीं बना? यही वजह है कि ये बच्चे शिक्षा और सरकारी योजनाओं के हकदार होने के बावजूद लाभ से वंचित हैं। वर्तमान में 1.80 करोड़ नामांकित छात्रों में से 22.77 लाख बच्चों के पास आधार कार्ड नहीं है, जो उनके भविष्य को कई तरह की समस्याओं में धकेल सकता है।
आधार कार्ड: बच्चों के अधिकारों की पहचान
आधार कार्ड केवल एक पहचान पत्र नहीं है। यह बच्चों को उनके शैक्षिक और सामाजिक अधिकारों का प्रवेश द्वार प्रदान करता है। लेकिन लाखों बच्चों के बिना आधार कार्ड के, उनकी शिक्षा और सरकारी योजनाओं का लाभ अधर में लटक गया है। `
डीईओ फेल, डीएम के कंधों पर जिम्मेदारी
शिक्षा विभाग ने समस्या को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) की विफलता के बाद अब जिलाधिकारियों (डीएम) को कार्यभार सौंपा है। डीएम को उन बच्चों की सूची भेजी गई है जिनका आधार कार्ड अब तक नहीं बना है। बच्चों का डेटा ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज करने के साथ-साथ आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है।
15 दिनों का अल्टीमेटम: चुनौती या अवसर?
शिक्षा विभाग के एसीएस डॉ. एस. सिद्धार्थ ने डीएम को 15 दिनों के भीतर इस कार्य को पूरा करने का आग्रह किया है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती जन्म प्रमाण पत्र की जटिल प्रक्रिया है। इस देरी के पीछे जन्म प्रमाण पत्र बनाने में लगने वाला समय और प्रक्रिया की कठिनाइयां जिम्मेदार हैं।
स्थानीय स्तर पर तेज हुई प्रक्रिया
इस समस्या से निपटने के लिए हर प्रखंड के दो उच्च माध्यमिक विद्यालयों में आधार केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों पर बच्चों का आधार कार्ड बनाने का काम तेज गति से चल रहा है। सरकार की यह पहल बच्चों को केंद्र और राज्य की योजनाओं से जोड़ने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
ई-शिक्षा कोष पोर्टल: योजनाओं के लिए डेटा का गेटवे
सभी बच्चों का डेटा ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज किया जाना अनिवार्य है। इससे योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंच सकेगा और अनियमितता पर रोक लगेगी।
समय के खिलाफ दौड़: सरकार के सामने बड़ी चुनौती
15 दिनों में 22.77 लाख बच्चों का आधार कार्ड बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन डीएम, आधार केंद्रों, और शिक्षा विभाग के आपसी सहयोग से इस काम को समय पर पूरा करने की उम्मीद की जा रही है।
बच्चों का आधार कार्ड: भविष्य के सपनों की कुंजी
आधार कार्ड न केवल बच्चों की पहचान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उनके शैक्षिक और सामाजिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का माध्यम भी है। यह पहल न सिर्फ बच्चों के वर्तमान को बल्कि उनके भविष्य को भी नई दिशा देने का काम करेगी।
निष्कर्ष:
बिहार सरकार का यह प्रयास बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना यह है कि 15 दिनों की यह रेस कितनी सफल रहती है और लाखों बच्चों को उनके अधिकारों से जोड़ा जा सकता है।