- द्वारा Santosh Singh
- Jun 21, 2023
बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर हाल ही में पेश की गई नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े उजागर किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में न तो अस्पतालों की पर्याप्त संख्या है और न ही डॉक्टरों और नर्सों का संतोषजनक अनुपात।
डॉक्टरों की भारी कमी
बिहार की अनुमानित 12.49 करोड़ की आबादी (मार्च 2022) के अनुपात में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अनुशंसा के अनुसार, प्रति 1,000 लोगों पर एक एलोपैथिक डॉक्टर होना चाहिए। इसके लिए राज्य में 1,24,919 डॉक्टरों की जरूरत थी। लेकिन जनवरी 2022 तक केवल 58,144 डॉक्टर ही उपलब्ध थे। यानी डॉक्टरों की उपलब्धता सिर्फ 1:2.148 थी।
नर्स और पैरामेडिक्स की भी भारी कमी
स्वीकृत पदों के मुकाबले नर्सों की कमी 18% (पटना) से लेकर 72% (पूर्णिया) तक दर्ज की गई। वहीं, पैरामेडिकल स्टाफ की कमी जमुई में 45% से लेकर पूर्वी चंपारण में 90% तक थी।
अनुमंडलीय अस्पतालों का अभाव
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बिहार के 47 अनुमंडलों में अनुमंडलीय अस्पताल (SDH) ही मौजूद नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग ने 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) में से 399 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में अपग्रेड करने की योजना बनाई थी, लेकिन मार्च 2022 तक केवल 191 भवन ही तैयार हो सके।
एचडब्ल्यूसी का आधा लक्ष्य भी पूरा नहीं
स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (HWC) की बात करें, तो मार्च 2022 तक 7,974 के लक्ष्य के मुकाबले केवल 4,129 केंद्र ही स्थापित किए जा सके।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
- प्रसव कक्ष: 1,932 PHC में से केवल 29% केंद्रों में ही प्रसव कक्ष थे।
- ऑपरेशन थिएटर: ऑपरेशन थिएटर सिर्फ 14% केंद्रों में उपलब्ध थे।
- बिस्तर: 28% केंद्रों में 6 बिस्तरों के मानक के मुकाबले 4 बिस्तर भी नहीं थे।
भवन निर्माण में घोर देरी
उन्नयन के लिए बीएमएसआईसीएल को 257.02 करोड़ रुपए की राशि दी गई थी। लेकिन 198 PHC में से केवल 93 पर काम शुरू हुआ और सिर्फ 67 केंद्रों का निर्माण कार्य पूरा किया गया।
रिक्तियां और योजनाओं का अधूरा कार्यान्वयन
स्वास्थ्य विभाग में 49% पद खाली थे। आयुष स्वास्थ्य इकाइयों में कर्मचारियों की कमी 35% से 81% तक थी। मानव संसाधन एजेंसी ने 24,496 पदों के लिए विज्ञापन जारी किए, लेकिन जनवरी 2022 तक 13,340 पदों की भर्ती प्रक्रिया लंबित थी।
स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीर
यह रिपोर्ट बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर हालत को सामने लाती है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि राज्य की जनता को विश्वसनीय और सुलभ चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें।
निष्कर्ष:
यह आंकड़े स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं और उनके क्रियान्वयन में गंभीर खामियां दिखाते हैं। सुधार की राह पर तेजी से काम करना ही राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर ला सकता है।